#सरगोशी सी लड़की
बावरी-सी, सरगोशी-सी लड़की,
वो बिंदी लगाकर इतराती होगी,
रेशमी बालों को गजरे से सजाकर
जब आईने के पास आती होगी।
वो आईने में ख़ुद को तक कर
थोड़ा-सा शायद शरमाती होगी,
खुद की नज़र न लगे खुद पर
इसी लिए काजल अंजाती होगी।
करती होगी तन्हा बातें खुद से,
फिर खुद से ही रूठ जाती होगी,
सुनहरी झुमके नई अदाएँ करके
उस चाँद-से चेहरे को मनाती होगी।
वो हाथों की मेहंदी मेरे नाम की,
आईने को चुपके से दिखाती होगी।
लुटाकर सोंधी-सोंधी मुस्कराहट,
खुद को ही पागल बनाती होगी।
अपने यार का ख़्वाब आते ही,
वो चुपके से मुस्कुराती होगी।
उसकी चूड़ियों की हल्की खनक,
मेरी कविता उसे सुनाती होगी।
✍️दुष्यंत कुमार पटेल