रोबोट ....
रोबोट ….
बॉय बॉय
खाना खा लेना
दरवाजा बंद कर लेना
होम वर्क पूरा कर लेना
रोज की तरह १० बजते ही ये शब्द
मेरी दिनचर्या को व्यवस्थित कर जाते
फिर मैं और मेरा बचपन
दोनों तन्हा रह जाते
सच कहूँ तो
मैं अकेला घर में बहुत डरता
पढ़ाई में मन नहीं लगता
खिलौने अच्छे नहीं लगते
किससे बात करता
रोबोट
हां रोबोट जरूर मेरा सच्चा दोस्त था
मेरे बर्थडे पर मेरी सबसे प्यारी गिफ्ट थी वो
निर्जीव ही सही मगर उसमें भी आत्मा तो थी बैटरी वाली
वो मेरे से बात करता मेरी उलझन सुनता
मैं सोचता ये मेरी उदासियों को कैसे पहचान जाता है
मेरे माँ बाप के पास ही मेरे लिए समय नहीं
मैं तो शायद उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा की जीत का
चिन्ह मात्र था
कैसे हो ,क्या किया, खाना खाया, सो गए थे न ,होम वर्क पूरा कर लिया
६ बजे आते है ये लाड भरे प्रश्न होते थे
नहीं चाहिए मुझे कोई भी
बस मुझे मेरा रोबोट दे दो
जो सजीव रोबोट मुझे न दे सके
वो निर्जीव बैटरी वाला रोबोट मुझे दे गया
मेरा प्यार
सुशील सरना