गीत
🙏🌹
उस लय से छंद बनाती हूँ….
———————
शब्दों के मोती, चुन -चुन कर,
भावों से गीत सजाती हूँ।
मैं धड़कन की भाषा जब सुनती,
प्रीति तभी ,लिख पाती हूँ।।
01
है कठिन परिश्रम ,तप मेरा,
स्तुति ईश की ,कर लेती हूँ।
त्याग ,तपस्या,प्रेम वेदना,
सह गीत खुशी के गाती हूँ।।
02
दर्दों को दे कर अपनापन ,
मुस्कानों से सहलाती हूँ।
घावों में भर लेती चंदन,
मैं जीत समय को जाती हूँ।।
03
है पीर- विरह अद्भुत,अनुपम,
साँसों से ,मैं दुलराती हूँ।
जो अनहद-नाद,बजे घट में,
उस लय से छंद बनाती हूँ।।
डॉ . रागिनी स्वर्णकार ,शर्मा
इंदौर🖋