मत काट मुझे
जंगल मत काटो
मत मुझको काटो मै अस्तित्व तुम्हारा हूं
प्राणों में तेरे मैं ही रहता मै तत्व तुम्हारा हूं
ये ऊंचे तरुवर, घना ये जंगल, इससे ही पोषित तेरा हर मंगल
तेरे सांसों की चलती माला, इनसे पड़ता हरदम पाला
ये वानर भेड़िए, बाघ और चीते
मृगराज हमारे संग ही जीते
मै मौसम के फल देने वाला हूं
मैं सच्चा तेरा सहारा हु
मैं अस्तित्व तुम्हारा हूं
तेरे आंगन की प्यारी मैं शोभा, पहली किरण की मैं ही तो आभा
छांव के संग संग फूलों की सुगंधी
टहनी पर झूले दूं असंख्य औषधि
खंजन और तोता, कबूतर गौरैया
टिटहरी मोर की यहां त थ थैया
भुजंग और मूसक पीहू पपिहा
सबका ही सुर मै प्यारा हूं
मैं अस्तित्व तुम्हारा हूं
आय श्रोत के संग जीवन मूल्य हूं
मैं जंगल मनुज का धन अमोल हूं
धरती अम्बर के मध्य मैं रहता
वनराज गजराज संग में रहता
छिपे यहां झरने कहीं सरोवर
गीत सुनाते सरगम को मनोहर
जल की भीनी भीनी कलकल
मैं गीतों का बंजारा हूं
मै जंगल तुम्हारा हूं
करूं ये विनती हे मानव कहलाए
बनो न दानव मेरा जिय अकुलाए
धरती का सिंगार न नोचों
मूक लहू से धन को न सींचो
घरौंदे मिटकर क्या घर सजता है
असहाय पीढ़ से तन मन दुखता
तनिक प्रेम से मुझको तुम देखो
मेघों को बरसाने वाला हूं
नहीं मानोगे तो चेतावनी दूंगा
फिर भी हठ की विध्वंश करूंगा
कहता हूं प्रेम से पीछे हट जाओ
अपने अस्तित्व को स्वयं बचाओ
फल फूल और पत्ते डाली डाली
सब तुमको देता में बारी बारी
लेकिन लालच में न बौराओ
मै ईश्वर का बहुत ही प्यारा हूं