"कभी-कभी मौन ही सबसे सच्ची आवाज़ होती है।"
“कभी-कभी मौन ही सबसे सच्ची आवाज़ होती है।”
कभी-कभी हम अपनी वफ़ादारी को ही
अपनी सज़ा बना लेते हैं।
ये अकेलापन कड़वा है, पर यही सच बताता है —
कौन हमारे साथ था, और कौन सिर्फ़ हमारे पास था।
“कभी-कभी मौन ही सबसे सच्ची आवाज़ होती है।”
कभी-कभी हम अपनी वफ़ादारी को ही
अपनी सज़ा बना लेते हैं।
ये अकेलापन कड़वा है, पर यही सच बताता है —
कौन हमारे साथ था, और कौन सिर्फ़ हमारे पास था।