दोहा दशम्. . . . . . बाल दिवस
दोहा दशम्. . . . . . बाल दिवस
क्या जाने यह बचपना, बाल दिवस का अर्थ ।
अर्थ जाल में पीसते, बचपन चन्द समर्थ ।।
बाल दिवस के अर्थ से, बचपन है अनजान ।
शोषित करते बचपना, उसका कुछ धनवान ।।
बाल दिवस पर बाँटते, नेता प्यार – दुलार ।
भाषण से संवारते, बच्चों का संसार ।।
बच्चों से मत छीनिये, बच्चों का संसार ।
बच्चे कल की नींव का, हैं सशक्त आधार ।।
भावी भारत भाग्य की, बच्चे सच्ची आस ।
कण-कण में ये कर्म से , भर देंगे उल्लास ।।
चौराहों पर बचपना, झोली रहा पसार ।
आडम्बर लगने लगा, बच्चों का उद्धार ।।
बचपन के संघर्ष को, लौटा दो मुस्कान ।
कुचल न जाऐं अर्थ में, कोमल से अरमान ।।
भोले बचपन को मिलें, सदा उच्च संस्कार ।
वर्तमान का आज यह, कल का है आधार ।।
कुछ ऐसा कर दीजिए, बाल दिवस पर यार ।
शिक्षा से धनवान हो, बच्चों का संसार ।
कंधे पर बस्ता रहे, आँखों में अरमान ।
बढ़ते भारत की बनें , नौनिहाल पहचान ।।
सुशील सरना / 14-11-25