किसने किया नहीं है हमसे प्यार जमीं पर
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर, पत्थर दिल तो हमको तुम ऐसे ना कहो।
हमने किया है प्यार तुमसे भी तो यहाँ पर, बेरहम दिल तो हमको तुम ऐसे ना कहो।।
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर————–।।
हमको है बहुत प्यार इस धरती के चमन से, हरकली,हरफूल और इसकी बहार से।
हमको है बहुत प्यार इस हिंदुस्तान से, इसकी आन-शान और इसके ताज से।।
नहीं कोई शक हमारी मोहब्बत पे तुम करो, बेख्याल तो हमको तुम ऐसे ना कहो।
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर————।।
जिसने दिया हमको जन्म अपना ख्वाब समझकर, करते हैं हम पर नाज वो आज भी इतना।
भुलें नहीं है हम आज भी उनके अहसान, करेंगे पूरा एक दिन हम उनका हर सपना।।
करते हैं उनकी पूजा उनको मानकर भगवान, बेजान तो हमको तुम ऐसे ना कहो।
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर—— ———-।।
जिसने किया है सच्चे दिल से प्यार यहाँ हमको, उतना दिया है हमने भी सम्मान यहाँ उनको।
पलकों पे उनको बिठाया है मानकर अपना, बेशक किया है प्यार इतना हमने यहाँ उनको।।
करते हैं उनका स्वागत उनको मानकर हमदम, बेअदब तो हमको तुम ऐसे ना कहो।
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर—————।।
कहते हो हमको ऐसे क्यों तुम बेवफ़ा, जबकि निभाई हमने तो अपनी हर वफ़ा।
अगर पसंद नहीं हो हमारी यह मोहब्बत, कहेंगे हम तो यही तुम नहीं हो सफ़ा।।
बन्धन नहीं है पसंद, जी.आज़ाद है क्योंकि, बेनाम तो हमको तुम ऐसे ना कहो।
किसने नहीं किया हमसे प्यार जमीं पर—————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)