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14 Nov 2025 · 1 min read

जब वे दुखी हुए

जब वे सुख में थे
उन्होने उल्लास के उत्सव रचे,
अपनी उपलब्धियों पर दीपों की झालरें टांगीं,
और कहानियों में स्वयं को नायक बनाकर
अपनी विजय-गाथाएँ गाईं।

परन्तु जब वे दुखी हुए
उन्होने माँ की गोद को खोजा,
पत्नी के आँचल में शरण ली,
और बेटी की मासूम हथेली में
अपनी थरथराती उँगलियाँ रख दीं।

सुख में अहंकार बोया था,
दुःख में स्मरण हुआ कि
जिसे वह स्वयं का सामर्थ्य समझता था,
वह तो स्त्रियों का ही संबल था।

उनके साहस के स्तंभ
माँ की ममता, पत्नी की निष्ठा,
और बेटी की निष्कपट मुस्कान थी।

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