Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Nov 2025 · 1 min read

शिव माला 154

शिव माला 154
खतरा बढ़ता जा रहा, दहल रहा है देश
छुपकर बैठे देश में, बदल-बदल कर भेष
बदल-बदल कर भेष, आमजन को ये मारे
होगी पूरी जाँच, देखकर पहलू सारे
बेरहमी से लोग, बहाते कतरा- कतरा
हर लो उनके प्राण, छुपे जो बनकर खतरा
अरविंद भारद्वाज

Loading...