Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Nov 2025 · 1 min read

चाँदनी बेलिबास होती है

चाँदनी बेलिबास होती है
रात तारों के पास सोती है

ज़िक्र जिसका कभी नहीं होता
बात अक्सर वो ख़ास होती है

जो समंदर को पार करता है
उसको इक बूँद ही डुबोती है

देखके राहगीर के छाले
रहगुजर ज़ार ज़ार रोती है

एक पल में जो ज़ख्म भरता है
एक सदी वो निशान ढोती है

रात जिसकी कटी ठिठुरते हुए
खेत में वो कपास बोती है

रात कहती नहीं शज़र से पर
अश्क से पत्तियाँ भिगोती है

Loading...