–अनुशासन
–अनुशासन
जहाँ नियम का मान नहीं, वहाँ प्रगति कहाँ टिकती है,
बंधन से डरता मन जब, सफलता दूर सिमटती है।
छात्र बने जब उद्दंड, न शिक्षक का मान रहेगा,
वह समाज फिर ढह जाएगा, न कोई सम्मान रहेगा।
संयम, सदाचार, अनुशासन, जीवन की हैं शान सभी,
इनके बिना न अर्थ रहा, न रहती पहचान सभी।
स्वच्छ मनोबल से बढ़ता है, हर मानव का मान,
अनुशासन ही तो देता है, जीवन को सम्मान।
✍️ लेखनाधिकार सुरक्षित: डॉ. नीरू मोहन