ये #नवंबर भी कितना चित्ताकर्षक होता है
ये #नवंबर भी कितना चित्ताकर्षक होता है
इसमें भोर की गुनगुनी धूप जितनी
अच्छी लगती है
तो सांझ की शीत मंद गति से बहती बयार भी
मनभावन सी होती है क्योंकि साथ तुम्हारी
स्मृतियाँ जो होती है और मेरे पसंदीदा
पुष्प भी तो इसी नवंबर में खिलते है
चाहुँ ओर प्रकृति की सुंदर छटा और
मनमोहक #हरसिंगार (परिजात )
के पुष्प मेरे चित को लुभावाने लगते हैं
इनकी सुगन्ध मेरे रोम रोम को
रोमांचित कर जाति है
जैसे कभी तुम्हारी प्रेम में अप्लावित
शब्द किया करते थे
ये सभी मुझ तक आकर ठहर जाते है मुझमें
और फिर इनसे जन्मती है एक कविता जो मैं
लिख देती हूँ बैठ तुम्हारी स्मृतियों के साथ ही
कुछ स्मृतियां तो इतनी लावण्य है वो सदैव
सुगंधित करती हैं मुझे
किंचित ही वो तुम्हारे प्रेम की तरह
कभी मुरझाती नहीं….