कटा जिंदगी का सफर धीरे-धीरे
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मिटे हैं मिरे गम मगर धीरे-धीरे ,
कटा जिंदगी का सफर धीरे- धीरे।
शिक्षा और सेहत मिलेंगे सभी को ,
तरक्की किया है नगर धीरे-धीरे।
अंधेरी ये रातें डराती बहुत हैं,
खतम होगें सारे कहर धीरे-धीरे।
खिजां का जमाना सदा रहता है क्या
हरे होंगे ही ये शज़र धीरे-धीरे।
समन्दर का खामोशी अच्छा नहीं “नूरी” ,
सुनामी में बदले लहर धीरे-धीरे
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला -कुशीनगर