नया उजाला
मन के अन्धेरों में
रौशनी को जनमते देखा,
बिखरे सपनों को
फिर से जुड़ते देखा ।
गिरते हुए लोगों को
फिर से सम्हलते देखा,
खाली हाथों को
नई इबारत लिखते देखा ।
नम आँखों को
फिर से मुस्कुराते देखा,
फुटपाथ के लोगों को
फिर से भाग्य चमकाते देखा ।
बेजार जिन्दगी में
मोहब्बत को मुस्काते देखा,
हारे हुए लोगों को
विजय-श्री गले लगाते देखा ।
ऐ दुनिया बनाने वाले
अब तो जीना सिखा दे,
घुप्प अन्धेरों में भी
एक नया उजाला फैला दे ।
” उजाला ” राष्ट्रीय साझा काव्य संग्रह से…
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ द ईयर
हरफनमौला साहित्य लेखक