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31 Oct 2025 · 1 min read

इश्क है अगर तो बताया कर

इश्क है अगर तो बताया कर
बेवजह यूं न सताया कर

गया हुआ वक्त लौटकर नहीं आता
इसे मौन में न गंवाया कर
जो मिले पल तुझे वफ़ा ए दिल बताने के
जरा उनका एहसास तो जताया कर
जो झलकती है तेरे रवैए में मोहब्बत की वफ़ा
उसे जुबान पर तो लाया कर
गुजर जाएगा ये वक्त भी अच्छे पलों के इंतजार में
जो वक्त है उसी को बेहतर बनाया कर
कहते हैं मोहब्बत आंखों से बात करती है
तू जरा नजरें तो मिलाया कर
ये डोर जो थामे बैठी है इन धडकनों को
इसे यूं ही न उलझाया कर
इश्क है अगर तो बताया कर
बेवजह यूं न सताया कर..

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