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29 Oct 2025 · 5 min read

सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय : गोरखपुर की महान विभूति

सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय : गोरखपुर की महान विभूति

भारतभूमि सदा से संतों, मनीषियों और मानवता के उपासकों की तपोभूमि रही है। इस पवित्र धरती पर समय-समय पर ऐसे दिव्य व्यक्तित्व अवतरित होते रहे हैं, जिन्होंने समाज में प्रकाश, प्रेम और सौहार्द का दीप प्रज्वलित किया। ऐसी ही एक विभूति हैं — सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय, जिनकी जीवन यात्रा गोरखपुर की मिट्टी में अंकुरित होकर विश्वभर में सद्भाव, शांति और एकता का संदेश फैला रही है।

🕉️ गोरखपुर की तपोभूमि से विश्व सद्भाव का संदेश

गोरखपुर — यह केवल एक शहर नहीं, बल्कि योग, त्याग और तपस्या का केंद्र है। गुरु गोरखनाथ की इस पावन भूमि ने अनेक संतों, समाजसेवियों और वीरों को जन्म दिया है। इसी भूमि के गौरव को आगे बढ़ाया है संत डॉ. सौरभ पाण्डेय ने, जिन्होंने “धरा धाम इंटरनेशनल” जैसी ऐतिहासिक संस्था की स्थापना करके गोरखपुर को विश्व आध्यात्मिक मानचित्र पर स्थापित किया।

डॉ. सौरभ पाण्डेय का जीवन इस सत्य का उदाहरण है कि एक व्यक्ति की निष्ठा, समर्पण और करुणा समाज के स्वरूप को बदल सकती है। उन्होंने धर्म को केवल पूजा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे मानवता की सेवा का माध्यम बनाया।

🌼 बाल्यकाल से संस्कार और सेवा का संगम

31 मार्च 1982 को गोरखपुर जनपद के भस्मा ग्राम में जन्मे डॉ. सौरभ पाण्डेय बचपन से ही धार्मिक और मानवीय संवेदनाओं से ओतप्रोत रहे। पिता श्री सोमनाथ पाण्डेय के संस्कारों और मातृ स्नेह के वातावरण ने उनमें सेवा, करुणा और आध्यात्मिक चेतना के बीज बोए।
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के साथ-साथ समाज और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।

किशोरावस्था से ही वे समाज सुधार, गरीबों की सेवा, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय रहे। युवावस्था में उन्होंने सामाजिक आंदोलन, शिक्षण सेवा, पर्यावरण जागरण और धार्मिक समरसता के अनेक अभियानों का नेतृत्व किया।

🌍 धरा धाम इंटरनेशनल — विश्व को जोड़ने वाला सेतु

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय की सर्वाधिक ऐतिहासिक देन है — धरा धाम इंटरनेशनल।
यह केवल एक धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि सर्वधर्म सद्भाव और विश्व शांति का जीवंत विश्वविद्यालय है।

उनकी यह दूरदर्शी कल्पना है कि दुनिया में चाहे कोई भी धर्म हो, सबका मूल सार एक ही है — प्रेम, करुणा और सह-अस्तित्व।
धरा धाम का मुख्य उद्देश्य है —

> “एक ऐसा विश्व निर्माण जहाँ सभी धर्म, जाति, मत और संप्रदाय एक मंच पर आकर मानवता के लिए कार्य करें।”

गोरखपुर के भस्मा गाँव में निर्मित हो रहा धरा धाम सर्वधर्म सद्भाव विश्व पीठ एक ऐसे केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहाँ मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, बौद्ध विहार और जैन उपासना स्थल एक ही परिसर में स्थापित होंगे। यह विचार न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि विश्व को यह सिखाता है कि “धर्म विभाजन का नहीं, समरसता का माध्यम है।”

🌿 संत की करुणा : सेवा ही साधना

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय का विश्वास है कि “सच्चा धर्म वही है जो दूसरों के दुख को दूर करे।”
इसी भाव से उन्होंने अनेक सामाजिक और मानवीय अभियानों की शुरुआत की —

निःशुल्क शिक्षा अभियान : गरीब और वंचित बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था।

स्वास्थ्य सेवा शिविर : महिलाओं, बच्चों और वृद्धों के लिए नियमित स्वास्थ्य शिविर।

हरियाली विवाह (Hariyali Shaadi Project) : पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण के साथ विवाह संस्कार का आयोजन।

अंगदान संकल्प : स्वयं और पत्नी डॉ. रागिनी के साथ उन्होंने अंगदान का संकल्प लेकर समाज में अमर मानवता का संदेश दिया।

नशा मुक्ति और युवा जागरण अभियान : युवाओं को सकारात्मक जीवन मूल्यों की ओर प्रेरित करना।

“एक दीया शहीदों के नाम” कार्यक्रम : हर राष्ट्रीय पर्व पर अमर शहीदों के सम्मान में दीप प्रज्वलन कर देशभक्ति का संदेश।

🌺 विश्व शांति के लिए धार्मिक विज्ञान केंद्र

उनकी अनूठी सोच यह है कि धर्म और विज्ञान विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।
इसी उद्देश्य से उन्होंने “विश्व शांति के लिए धार्मिक विज्ञान केंद्र” (Interfaith Scientific Research Center for Peace) की स्थापना का संकल्प लिया है। यहाँ ध्यान, ऊर्जा विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, वास्तुशास्त्र, धार्मिक चिकित्सा और ध्यान–योग आधारित उपचार पर शोध कार्य संचालित होंगे।

यह केंद्र भविष्य में भारत को “Spiritual Science Capital” के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

📚 साहित्य, संस्कृति और मीडिया से जनजागरण

डॉ. सौरभ पाण्डेय स्वतंत्र जनमित्र दैनिक समाचार पत्र के मैनेजिंग एडिटर हैं।
पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने जनसरोकारों को आवाज़ दी और समाज में सकारात्मक पत्रकारिता की परंपरा को मजबूत किया।

उन पर आधारित कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं, जिनमें डॉ. अभिषेक कुमार द्वारा रचित ग्रंथ —
“विश्व गुरु भारत के निर्माण में सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी का योगदान” विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
यह पुस्तक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकार्पित हुई — जहाँ विभिन्न देशों के राजनयिकों और आध्यात्मिक नेताओं ने उनके कार्य को विश्व शांति की मिसाल बताया।

👨‍👩‍👧‍👦 परिवार में संस्कार और सेवा की निरंतरता

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय की जीवनसंगिनी डॉ. रागिनी पाण्डेय समान रूप से समाजसेवा में संलग्न हैं।
उनकी सुपुत्री श्वेतिमा माधव प्रिया विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास हैं, जो श्रीमद् भागवत कथा का वाचन देश-विदेश में कर मानवता का संदेश फैला रही हैं।
उनके सुपुत्र सौराष्ट्र भगवद्गीता का अध्ययन कर रहे हैं और धार्मिक कथा वाचन की दिशा में अग्रसर हैं।
यह परिवार संस्कार, सेवा और समर्पण का जीवंत उदाहरण है।

🌏 अंतरराष्ट्रीय पहचान और योगदान

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय ने अपने कार्यों से न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी भारतीय अध्यात्म की प्रतिष्ठा बढ़ाई।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वधर्म सद्भाव सम्मेलन का आयोजन, जिसमें विभिन्न देशों के धर्मगुरुओं ने भाग लिया।

एक हजार से अधिक सम्मान

Amazing Wife Award 2025 में उनकी धर्मपत्नी का सम्मान उनके परिवार के आदर्श जीवन का प्रतीक बना।

विश्व के प्रमुख धार्मिक स्थलों से पवित्र मिट्टी और जल संग्रह अभियान — जिससे वैश्विक एकता का प्रतीकात्मक संदेश दिया गया।

🕊️ विचार और दर्शन

संत डॉ. सौरभ पाण्डेय का जीवनदर्शन अत्यंत सरल किन्तु गहरा है। उनके कथन —

> “धर्म अगर जोड़ न सके तो वह अधूरा है,
और अगर सेवा में न उतरे तो वह केवल प्रदर्शन है।”

उनका यह दृष्टिकोण धर्म को कर्म से जोड़ता है। उनके लिए हर व्यक्ति ईश्वर का अंश है और हर सेवा, एक पूजा है।

🌞 प्रेरणा के स्रोत : कर्म, करुणा और कल्याण

वे मानते हैं कि समाज तभी सशक्त बनेगा जब हर धर्म के लोग एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करते हुए मिलकर मानवता की सेवा करें।
उनकी पहल से गोरखपुर में “सर्वधर्म सद्भाव पीठ” का निर्माण चल रहा है, जो आने वाले समय में विश्व की पहली धार्मिक एकता की प्रयोगशाला बनेगा।

उनका जीवन इस सत्य का प्रतीक है कि एक साधक यदि अपने जीवन को सेवा, सौहार्द और शांति के लिए समर्पित कर दे तो वह युग बदल सकता है।

आज जब विश्व में असहिष्णुता, हिंसा और विभाजन की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, ऐसे समय में संत डॉ. सौरभ पाण्डेय जैसे व्यक्तित्व एक प्रकाश स्तंभ की तरह हैं।
उन्होंने धर्म को मानवता के लिए, अध्यात्म को विज्ञान के लिए, और साधना को सेवा के लिए समर्पित किया।

गोरखपुर की यह मिट्टी धन्य है, जिसने ऐसे संत को जन्म दिया जिसने भारत के आदर्श —
“वसुधैव कुटुम्बकम्” को व्यवहारिक रूप में मूर्त किया।

उनका जीवन, उनकी वाणी और उनके कर्म आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देते हैं —

> “सद्भाव ही सबसे बड़ा धर्म है,
सेवा ही सबसे बड़ी साधना,
और मानवता ही सच्चा ईश्वर।”

🕊️ सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय न केवल गोरखपुर की महान विभूति हैं,
बल्कि भारत की आत्मा और विश्व मानवता के संदेशवाहक हैं —
जिन्होंने धर्म को दीवार नहीं, दिलों को जोड़ने वाला सेतु बनाया।

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