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29 Oct 2025 · 1 min read

उन्नति के सपने

सपने उन्नति के लखें ,करें यथोचित कर्म।
जीवन इससे हो सफल, विज्ञ बताते मर्म।
विज्ञ बताते मर्म,लक्ष्य जीवन का जानें।
सत्य भाव के साथ,सोच अन्तस की मानें।
रखें सदा ही ध्यान,कर्म साथी हैं अपने।
यही कराते ओम,सफल सारे ही सपने।।

अपने जीवन लक्ष्य का,रखते जो जन भान।
उचित पंथ चुनते सदा, जिससे बने विधान।
जिससे बने विधान, ज्ञान भी वैसा लेते।
रखें समय का ध्यान,मूल्य लक्ष्यों को देते।
त्याग व्यर्थ का वाद, लखें उन्नति के सपने।
पाते वांछित लक्ष्य,सदा वे मानव अपने।।

डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
शिक्षक व साहित्यकार
कानपुर नगर

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