प्रेम की तड़प”
प्रेम की तड़प”
तुम बिन ये चाँद भी अधूरा लगे,
रात का सन्नाटा भी गहरा लगे।
हर सिहरन में तेरी याद जगती है,
हर सांस में तेरा नाम बसता है।
दिए बुझ भी जाएँ, पर लौ नहीं,
तेरे बिना अब भी सुकून नहीं।
तेरी हँसी अब भी कानों में गूंजती है,
तेरी चुप्पी भी दिल को डुबोती है।
ना रूठ सकी, ना भूल सकी मैं,
तेरी चाह में खुद को खो चुकी मैं।
तड़प तो आज भी वही पुरानी है,
बस अब आँखों में कहानी है।
रूबी चेतन शुक्ल