‘हम पढ़े-लिखे जो कुत्ते हैं, कुत्तों से बहस नहीं करते’
ग़ज़ल
कुत्ता कुत्ते को घुमा रहा था सुबह-सुबह
रस्ते में ख़बरें बना रहा था सुबह-सुबह
इक यूंयूंटयूब पर जा बैठा तो एक पुराने चैनल पर
कुत्ता कुत्ते को चिढ़ा रहा था सुबह-सुबह
‘कुत्तों की एक प्रजाति थी जो सबसे श्रेष्ठ प्रजाति थी’
कुत्ता कुत्तों को बना रहा था सुबह-सुबह
‘हम पढ़े-लिखे जो कुत्ते हैं, कुत्तों से बहस नहीं करते’
कुत्ता कुत्तों को सिखा रहा था सुबह-सुबह
‘उट्ठो कुत्तो और और भोर हुए ही कुत्तपना आरंभ करो’
कुत्ता कुत्तों को जगा रहा था सुबह-सुबह
-संजय ग्रोवर
( तस्वीर: गूगल सर्च की मदद से )