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24 Oct 2025 · 1 min read

राह देखते हुए बरसों बीत गये l

राह देखते हुए बरसों बीत गये l

हमारे और तुम्हारे दरमियाँ
जो दूरी रही वो पाई के मान
की तरह स्थिर रही l

तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हें को
Xyz मान मैंने परिणाम प्राप्त करने की कोशिश की l

पर तुम हमेशा त्रिकोणमिति जैसे
मुश्किल पेश आते रहे l

काश कभी तुम परिधि और विकर्ण ज्ञात करने जितना आसान होते तो
ये राह नज़दीक होती और पाई का मान भी किसी अंक में तब्दील हो जाता।

निवेदिता रश्मि

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