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24 Oct 2025 · 1 min read

वर्षा की पहली बूंद

वर्षा की पहली बूंद
धरा के सूखे पटल पर गिरती
तृप्त होकर वसुमति
अपनी प्यास बुझाती

सूखे वन के वृक्षों में
हरियाली पुनः वापस आती
नदियाँ फिर अपनी लहरों से
एक नई मधुर संगीत बनाती

चिड़ियों की कलरव
फिर से वनों में गूंजती
मुरझाए पौधों के फूल
अपने रंग में खिलना चाहती

कोयल की मीठी धुन
मेंढक की टर्र – टर्र आवाज
नए मौसम के आगमन पर
दिखाते हैं अपना अलग अंदाज

प्रकृति की सुंदरता मन को हर रही
आसमान में इंद्रधनुष सातों रंग बिखेर रही
ऊंचे पर्वत हो या कोई छोटा जीव
मानो सब हो गए हो सजीव

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