वर्षा की पहली बूंद
वर्षा की पहली बूंद
धरा के सूखे पटल पर गिरती
तृप्त होकर वसुमति
अपनी प्यास बुझाती
सूखे वन के वृक्षों में
हरियाली पुनः वापस आती
नदियाँ फिर अपनी लहरों से
एक नई मधुर संगीत बनाती
चिड़ियों की कलरव
फिर से वनों में गूंजती
मुरझाए पौधों के फूल
अपने रंग में खिलना चाहती
कोयल की मीठी धुन
मेंढक की टर्र – टर्र आवाज
नए मौसम के आगमन पर
दिखाते हैं अपना अलग अंदाज
प्रकृति की सुंदरता मन को हर रही
आसमान में इंद्रधनुष सातों रंग बिखेर रही
ऊंचे पर्वत हो या कोई छोटा जीव
मानो सब हो गए हो सजीव