Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Oct 2025 · 1 min read

#भैयादूज#

शीर्षक: भैया दूज
****************
निर्मल कल कल छल छल बहती, ज्यों यमुना की धार।
भैया दूज समाहित पावन, बहना तेरा प्यार।।

सजा आरती थाल तिलक से, मन में लिए उचाट।
कब आएँगे भैया घर को, बहना ताके बाट।।

नर नारी संबंध अनोखे, कितने इनके रूप।
भाई-बहना निर्मल नाता, सबसे है अपरूप।।

एक यहीं रिश्ता है ऐसा, अब तक हमको गर्व।
बस बंधन नि:स्वार्थ प्रेम का, ऐसा है यह पर्व।।

राई जैसा दुख भाई का, लगता जिसे पहाड़।
भाई के हित सब सहने को, रहे बहन तैयार।।

__ अशोक झा ‘दुलार’
मधुबनी (बिहार)

Loading...