गाज़ा के बच्चों को शांति की छाँव दे,
हे दयालु रब, तेरा रहम इन बच्चों के सिर पर सदैव बना रहे,
जहाँ हर दिल में तेरी रौशनी की चमक हो, जो अंधेरों को चीर दे,
जुल्म की जंजीरें टूट जाएं, और हर गली, हर मोहल्ला तेरी खुशी की खुशबू से महक उठे,
फिलिस्तीन की ज़मीन के आसमान तले फिर से अज़ान की मिठास गूंजे,
जहाँ हर शाम नई उम्मीद के साथ उगे, और हर सुबह प्रेम का पैगाम लाए।
गाज़ा के मासूम बच्चों के होंठों पर हमेशा मुस्कान बनी रहे,
उनकी आँखों में डर की जगह शांति की रौशनी हो,
जो दर्द उनके दिल में छुपा है, वह तेरे रहम की नदियों से धो दिया जाए,
जहाँ नफ़रत की जगह हो, वहाँ प्रेम के फूल खिलें,
हे रब, उनके लिए ऐसा कल बना दे जहाँ वे भयमुक्त हों,
जहाँ वे खुशियों के गीत गाएं, और उनके सपने सच हों।
जुल्म की इस घनी रात को चीर कर, उजाले की सुबह आए,
युद्ध के बादल छट जाएं और शांति की ठंडी हवा चले,
जहाँ बच्चे बिना किसी डर के खेलें, पढ़ें और बढ़ें,
जहाँ कोई माँ अपने बच्चों के लिए आँसू न बहाए,
और हर घर खुशियों, सुकून और प्रेम से भर जाए।
हे अल्लाह! गाज़ा के हर बच्चे को तेरी सुरक्षा की छाया मिले,
उनके दिलों को उम्मीद से भर दे, और उनके रास्तों को रोशन कर दे,
तू ही वह ताकत है जो जुल्म के तूफानों को खत्म कर सकती है,
तू ही वह रौशनी है जो अंधेरों में चमकती है,
सिर्फ तेरी मर्ज़ी हो, सिर्फ तेरा रहम हो,
और फिलिस्तीन की ज़मीन पर फिर से शांति के गीत गूंजें।