दीपावली
दीपावली
रोला
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रहो सदा खुशहाल, प्रेम के दीप जलाओ।
मिटें द्वेष जंजाल, दीपिका पर्व मनाओ।
फैले पुंज प्रकाश, रूप की चौदस पाओ।
राग द्वेष से दूर मनीषा सी बन जाओ।।
ज्योति पर्व है आज, तुम्हें हो ये फलदाई।
रखो हमेशा लाज, रूप श्री तुमने पायी।
सुखद शुभम आलोक, दिखाई दे खुशहाली।
दूर रहें दुख शोक, हो पावन पर्व दीवाली।।
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@स्वरचित व मौलिक
कवयित्री शालिनी राय ‘डिम्पल’
आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश।