पढ़े-लिखे वे लोग ही भैया जाहिल निकले
ग़ज़ल
पढ़े-लिखे थे गुण्डे भैया शानदार थे
हाथ में उनके एक से ज़्यादा पुरस्कार थे
कईयों ने तो उनको दानिशमंद कहा था
ख़ानदान के गुण्डे भैया जानदार थे
मार-काट को जिन्होंने घोषित किया अहिंसा
आप ही सोचो बुद्धिजीवी या इश्तिहार थे
वे भी थे मज़लूम बहुत अपनी नज़रों में
अपनी करी सियासत का जो ख़ुद शिकार थे
पढ़े-लिखे वे लोग ही भैया जाहिल निकले
गहरी एक सियासत को कह रहे प्यार थे
-संजय ग्रोवर
( तस्वीर : संजय ग्रोवर )
दानिशमंद=बुद्धिमान, मज़लूम=पीड़ित, जाहिल=उजड्ड