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16 Oct 2025 · 1 min read

पढ़े-लिखे वे लोग ही भैया जाहिल निकले

ग़ज़ल

पढ़े-लिखे थे गुण्डे भैया शानदार थे
हाथ में उनके एक से ज़्यादा पुरस्कार थे

कईयों ने तो उनको दानिशमंद कहा था
ख़ानदान के गुण्डे भैया जानदार थे

मार-काट को जिन्होंने घोषित किया अहिंसा
आप ही सोचो बुद्धिजीवी या इश्तिहार थे

वे भी थे मज़लूम बहुत अपनी नज़रों में
अपनी करी सियासत का जो ख़ुद शिकार थे

पढ़े-लिखे वे लोग ही भैया जाहिल निकले
गहरी एक सियासत को कह रहे प्यार थे

-संजय ग्रोवर

( तस्वीर : संजय ग्रोवर )

दानिशमंद=बुद्धिमान, मज़लूम=पीड़ित, जाहिल=उजड्ड

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