फूलों से राबता जो रखे
ग़ज़ल
फूलों से राबता जो रखे , रख ले शूल भी ,
जब ज़िंदगी क़ुबूल , क़यामत क़ुबूल भी ।1/
मिटता गया शऊर , सरे आम हश्र सा ,
क़ानून बदले, बदले सयासत के चूल भी ।2/
फलते हैं पेड़ – पौधे , ज़मीं की दयार में ,
झुकते हैं नीम ,आम , व बरगद, बबूल भी ।3/
ईमान की डगर पे, कभी चल के देख लो,
अल्लाह साथ होंगे , हमारे रसूल भी ।4/
आती नहीं है शर्म , अजी झूठ छोड़ दो ,
क्यूँ झोंकते रहे हो , ये आँखों में धूल भी ।5/
इज़्ज़त करें सभी की , मगर हद में भी रहें ,
हर शख़्स के जहान में , होते उसूल भी ।6/
रखना सँवार कर , जो सदा साथ आपके ,
रिश्तों के वासते तु ,कभी ख़ुद को भूल भी ।7/
✍️ नीलोफर ख़ान नील रूहानी…