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15 Oct 2025 · 1 min read

यादों की अंजुमन से , पुकारा न कीजिए

यादों की अंजुमन से , पुकारा न कीजिए,
बेरंग ज़िन्दगी का , सहारा न कीजिए।

उरियाँ चमन हुआ है जो, फूलों से बेख़बर,
पत्तों से डालियों से , वो आरा न कीजिए ।

बेवजह उठ रहे हैं , जो इलज़ाम ज़िंदगी ,
अब आप भी किसी को , निहारा न कीजिए ।

ख़ालिस मुहब्बतों का, हुनर बे- नियाज़ है ,
अपनों से फिर कभी भी , किनारा न कीजिए ।

सारी ही कायनात , मिली आप को सनम ,
अब तंग दिल से आप , गुज़ारा न कीजिए ।

वो बेनज़ीर यार था , जिस पर हुआ करम ,
अश्कों से दिल के दाग़ , सँवारा न कीजिए ।

इक आरज़ू में दिल को ही क़ुर्बान कर चला ,
आज़ाद आशना को , इशारा न कीजिए ।

बेजान जिस्म यार का ,अब रूह क्या करूँ,
बेदर्द नील दिल ये , हमारा न कीजिए ।

✍️ नीलोफर ख़ान नील रूहानी

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