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15 Oct 2025 · 1 min read

नेहरू और ओपेनहाइमर

जब भारत की पावन धरा ने
आकर्षित किया उस गहरे मन को
जिसने रचा था विध्वंस का बीज
पर आत्मबोध से जलता अंतरतम।

नेहरू थे शान्ति-उपासक
आधुनिकता के सृजन-विवेक
जब दुनिया थी शीत युद्ध में
हर मन में था परमाणु भय प्रचण्ड।

न अमेरिका, न रूस का साथ
नेहरू ने चुनी अपनी राह
शान्ति, एकता का दीप जलाया
हथियारों को दूर भगाया।

नियंत्रण हो परमाणु शक्ति पर
न हो विनाश, न फैले डर
ओपेनहाइमर भी थे सहमत
वैश्विक-शान्ति हेतु थे अति प्रतिबद्ध।

नेहरू को भेजा पत्र गोपनीय
शब्द थे उसमें अति गम्भीर
न करना साझा वह पदार्थ
जो कर दे विश्व का संहार।

दोनों थे एक चेतना के
मानवता के दिव्य दर्पण
आज भी उनकी बातें सत्य
दुनिया खोजे वही दर्शन।

-प्रतीक झा ‘ओप्पी’

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