रिश्तों में दूरी नहीं, समझ ज़रूरी है
🤝 रिश्तों में दूरी नहीं, समझ ज़रूरी है
रिश्ते-ये वो बंधन हैं जो इंसान को अकेलेपन से जोड़ते हैं,
और जुड़ाव के असली अर्थ को समझाते हैं।
पर आज के दौर में, जब दुनिया पहले से ज़्यादा जुड़ी हुई है,
तब भी इंसान पहले से ज़्यादा अकेला क्यों महसूस करता है?
क्यों रिश्ते टूटते नहीं, फिर भी बिखर जाते हैं?
असल में, रिश्ते दूरी से नहीं, गलतफ़हमी से टूटते हैं।
शारीरिक दूरी तो केवल जगह बदलती है,
पर जब मन की दूरी बढ़ जाती है,
तो नज़दीक बैठे लोग भी अजनबी लगने लगते हैं।
हमने एक-दूसरे को सुनना छोड़ दिया है,
अब बस जवाब देना सीख लिया है।
हम बात तो करते हैं, पर समझते नहीं;
और यही से रिश्तों में दरारें शुरू होती हैं।
हर रिश्ता एक पौधे की तरह होता है-
उसे सिर्फ़ प्यार से नहीं,
बल्कि समझ, समय और संवेदनशीलता से सींचना पड़ता है।
पर आज के तेज़ रफ़्तार जीवन में
हमारे पास समझने का वक्त नहीं,
बस निर्णय लेने की जल्दी है।
हम किसी की गलती देखने में इतने तेज़ हो गए हैं
कि उसके हालात को समझने की कोशिश ही नहीं करते।
सच्चे रिश्ते वो हैं,
जहाँ दोनों एक-दूसरे की खामोशी को भी सुन सकें।
जहाँ समझौता नहीं, समझ हो।
जहाँ सवालों से ज़्यादा अपनापन हो।
हर रिश्ता परफेक्ट नहीं होता,
पर जब उसमें संवेदना होती है,
तो अपूर्णता भी खूबसूरत लगती है।
कभी-कभी थोड़ी दूरी भी ज़रूरी होती है,
पर उस दूरी में भी अगर भरोसा कायम है,
तो रिश्ता और मज़बूत हो जाता है।
क्योंकि सच्चे रिश्ते क़रीबी से नहीं, नीयत से बनते हैं।
जो लोग एक-दूसरे को दिल से चाहते हैं,
उनके बीच दूरी नहीं, दुआएँ चलती हैं।
इसलिए, किसी रिश्ते को बचाने के लिए
बहस नहीं, बस थोड़ी समझ चाहिए।
क्योंकि जहाँ समझ होती है,
वहाँ न दूरी मायने रखती है,
न समय।
रिश्ते साथ रहने से नहीं निभते,
बल्कि एक-दूसरे को समझने से चलते हैं। ❤️
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