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15 Oct 2025 · 4 min read

दीपों का त्योहार : दिपावली

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर धर्म, भाषा और संस्कृति के लोग विभिन्न त्योहारों को हर्षोल्लास से मनाते हैं। उन्हीं त्योहारों में से एक है दिवाली, जिसे “दीपावली” भी कहा जाता है। यह हिन्दुओं का सबसे प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है, जिसे पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का अर्थ है दीयों की पंक्ति, और यह अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन के साथ कई धार्मिक और पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन माँ लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और इसकी तैयारियाँ कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं।
= दिवाली का धार्मिक और पौराणिक महत्व : – दिवाली से कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी विशेष बनाती हैं :
1. रामायण से संबंधित कथा : जब भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास समाप्त करके सीता माता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तभी से यह परंपरा बनी।
2. श्रीकृष्ण और नरकासुर कथा : एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था। यह भी दिवाली के उत्सव से जुड़ा हुआ है।
3. माँ लक्ष्मी का प्राकट्य : समुद्र मंथन से धन की देवी लक्ष्मी का प्राकट्य भी इसी दिन हुआ था, इसलिए यह दिन धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
= दिवाली मनाने की विधि और परंपराएं : – दिवाली एक दिन का नहीं, बल्कि पाँच दिनों का त्योहार होता है :
1. धनतेरस: इस दिन लोग बर्तन, आभूषण या अन्य कीमती वस्तुएँ खरीदते हैं। यह शुभ माना जाता है।
2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): इस दिन नरकासुर वध की कथा से जुड़ी परंपराएं निभाई जाती हैं।
3. मुख्य दिवाली: इस दिन घरों को सजाया जाता है, दीपक जलाए जाते हैं, लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है।
4. गोवर्धन पूजा: यह दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा और अन्नकूट भोग से जुड़ा है।
5. भाई दूज: यह दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं।
= दिवाली की तैयारी : – दिवाली से पहले लोग घरों की सफाई और रंग-रोगन करते हैं। बाजारों में रौनक बढ़ जाती है। लोग नए कपड़े, मिठाइयाँ और उपहार खरीदते हैं। घरों को दीपकों, मोमबत्तियों, लाइटों और रंगोली से सजाया जाता है। रात को लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर परिवारजन एक साथ प्रसाद ग्रहण करते हैं। बच्चे पटाखे चलाकर आनंद मनाते हैं।
= आर्थिक और सामाजिक महत्व : – व्यापारिक वर्ग के लिए दिवाली बहुत खास होती है। नई बही-खातों की शुरुआत इसी दिन की जाती है। दुकानों और बाजारों में खूब रौनक होती है। यह त्योहार सामाजिक एकता और प्रेम का संदेश देता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं और बधाइयाँ देते हैं।
= आधुनिक समस्याएँ और समाधान : – दिवाली पर पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन हमें ऐसे पटाखों का उपयोग करना चाहिये जो धुँआ कम दे और रोशनी ज्यादा दे ताकि वायु प्रदूषण कम हो और हम खुशियाँ भी मना सके
= दिवाली का संदेश : – दिवाली हमें सिखाती है कि अंधकार चाहे जितना भी हो, एक दीपक भी उसे मिटा सकता है। सच्चाई और धर्म की हमेशा जीत होती है। जीवन में प्रकाश, प्रेम, और सौहार्द बना रहना चाहिए। दिवाली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है। यह त्योहार हमें अपने जीवन से अज्ञानता, अहंकार, और बुराइयों को हटाकर ज्ञान, विनम्रता, और अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा देता है। हमें इसे सच्चे हृदय से मनाना चाहिए, न कि केवल दिखावे के लिए। दिवाली का वास्तविक संदेश है कि अपने जीवन से अंधकार, बुराई और नकारात्मकता को हटाकर प्रकाश, अच्छाई और सकारात्मक सोच को अपनाना। यह पर्व हमें प्रेम, भाईचारा और एकता की भावना सिखाता है।
दिपावली पर मेरे संदेश : –

दीप जले हैं घर-आँगन में,
प्रकाश भरे हर एक मन में।
साफ़-सफाई पहले करें,
गंदगी से दूरी रखें।

पटाखे कम, मुस्कान ज़्यादा हो,
प्रकृति से हो अपना सुनहरा नाता।
पेड़ों को भी हम सभी दीप दिखाएँ,
पक्षियों को भी हम डराने ना पाएँ।

मिठास रखें हम अपनी बोली में,
नफ़रत ना हो हमें अपने दिलों में।
मिल-जुलकर हम सभी त्योहार मनाएँ,
सबको अपने पराये को हम गले लगाएँ।

ज्ञान का दीप जलाएँ सबके दिल में,
बुराई मिटाये हर एक के दिल से।
यही सच्ची दिवाली होगी सबकी,
जब हर घर – घर में ख़ुशहाली होगी।

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