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14 Oct 2025 · 1 min read

करुणाकर करुणा करो, करो कृपा की कोर।

करुणाकर करुणा करो, करो कृपा की कोर।
शरण तुम्हारी आ पड़ी, देखो मेरी ओर।।

कैसे दीनानाथ तुम, पड़े न दीनन दीठ।
जब-जब भी नजरें मिलें, कर लेते झट पीठ।।

© सीमा

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