करुणाकर करुणा करो, करो कृपा की कोर।
करुणाकर करुणा करो, करो कृपा की कोर।
शरण तुम्हारी आ पड़ी, देखो मेरी ओर।।
कैसे दीनानाथ तुम, पड़े न दीनन दीठ।
जब-जब भी नजरें मिलें, कर लेते झट पीठ।।
© सीमा
करुणाकर करुणा करो, करो कृपा की कोर।
शरण तुम्हारी आ पड़ी, देखो मेरी ओर।।
कैसे दीनानाथ तुम, पड़े न दीनन दीठ।
जब-जब भी नजरें मिलें, कर लेते झट पीठ।।
© सीमा