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13 Oct 2025 · 1 min read

*" शहर में चमक है पर खोखली है "*

” शहर में चमक है पर खोखली है “

शहर में चमक है पर खोखली है,
रोशनी बहुत है,पर उजली नहीं है।

भीड़ है शहर में मगर दोगली है ,
है बहुत पैसा ,पर दिल नहीं है।

जिंदगी में बस यूँ ही भाग दौड़ है ,
ठहरने की अब यहाँ फुर्सत नहीं है।

हर चेहरे पर यहाँ लगा है मुखौटा
मासूमियत की कद्र ही अब नहीं है।

जो बात करते हैं अपनेपन की
उनसे अधिक कोई पराया नहीं है।

पैसा अगर है आपकी जेब में
तो आप सा कोई सगा नहीं है।

यह बात तो हो रही है शहर की
लेकिन अब तो गाँव भी कम नहीं हैं ।

मौलिक सृजन
पूनम दीक्षित
कृष्णा विहार कॉलोनी
ज्वाला नगर रामपुर
उत्तर प्रदेश

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