दुनिया जैसी भी है इसका करना क्या
गज़ल
इसीमें जीना और इसीमें मरना क्या
दुनिया जैसी भी है इसका करना क्या
बेसिर पैर की ये दुनिया है, किसकी है
इक दिन मैं भी मर जाऊंगा वरना क्या !
जो भी मुझसे कहना है बेबाक कहो
तिरछी नजरें और इशारे करना क्या
आक़ाओं की चिलम सियासी भरते हैं
भरे हुओं के अंदर चाबी भरना क्या
भीड़ की ताली पर जिनका ईमान टिका
ऐसे डरे हुओं से हमको डरना क्या
-संजय ग्रोवर
( तस्वीर: संजय ग्रोवर )