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11 Oct 2025 · 1 min read

तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा.."

📍तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा..”

जब जीवन रणभूमि बन जाए,
और हर दिशा शंकाओं से भर जाए,
जब अपनों की आंखें भी परछाईं लगें,
और सत्य, चुपचाप कोनों में खड़ा मिले,
जब हर संबंध एक युद्ध बन जाए..
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।

जब भीतर अर्जुन जैसे सवाल उठें,
और उत्तर कोई देने वाला न बचे,
जब दिल दुविधाओं से टकराए,
और कर्तव्य, बोझ बनकर टूटने लगे,
जब रास्ते भी खो जाएं धुएँ में..
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।

जब धर्म और अधर्म का फर्क मिटने लगे,
और सच्चाई भी भय से कांप जाए,
जब न्याय खुद किसी कोने में छिपा हो,
और अन्याय नगाड़े बजा रहा हो,
जब संसार मौन हो जाए..
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।

जब हर दिन एक युद्ध लगे,
और भीतर की शांति युद्धभूमि बन जाए,
जब खुद से सामना कठिन हो जाए,
और आत्मा आईने में सवाल करे,
जब तुम्हें खुद को ही ढूँढना पड़े…
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।

जब शब्दों से युद्ध लड़ा जाए,
और मौन ही सबसे तीखा अस्त्र बने,
जब बुद्धि तुम्हारा सुदर्शन हो,
और ह्रदय नीति का सारथी बने,
जब कोई और नहीं बोले…
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।

जब अर्जुन बाहर नहीं, भीतर हो,
और वो तुमसे ही उत्तर मांगे,
जब तुम्हें ही दिशा देनी हो,
और सारथी बनकर भी युद्ध लड़ना हो,
जब चुप रहना अधर्म लगे..
तब तुम्हें कृष्ण बनना ही होगा।।

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