मुक्तक
मुक्तक
देखो,देखो; नेताओं का नकली प्यार।
सिंहासन पाने को आतुर, नेता हजार।
आगे-पीछे हो चले, कमलपुष्प तोड़ने;
पर, औंधे मुंह गिरते हैं; सब बारंबार।
pk
मुक्तक
देखो,देखो; नेताओं का नकली प्यार।
सिंहासन पाने को आतुर, नेता हजार।
आगे-पीछे हो चले, कमलपुष्प तोड़ने;
पर, औंधे मुंह गिरते हैं; सब बारंबार।
pk