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8 Oct 2025 · 1 min read

कुण्डलिया

!! श्रीं !!
सुप्रभात!
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🙏
बहनें लगतीं प्रिय सदा, बधीं नेह की डोर।
बचपन की शैतानियाँ, जिनका ओर न छोर।।
जिनका ओर न छोर, कहानी सी बन आतीं,
छोड़ मायका बहिन, चिरैया सी उड़़ जातीं।।
कहे ‘ज्योति’ दुख देख , भ्रात का बहन सुबकतीं।
नेहा की सी खान, सदा ही बहनें लगतीं ।।
***
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
🌷🌷🌷

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