दो करवटें है
ये खालीपन है ऐसा, जिसे भरना नहीं मुमकिन,
ये वो घाव है ‘sonu’, जिसकी निशानी ही मरहम है।
न इंतज़ार किसी का है, न तलब किसी शैय की,
बस दो करवटें हैं और दोनों तरफ़ ही बेचैनी है।
ये खालीपन है ऐसा, जिसे भरना नहीं मुमकिन,
ये वो घाव है ‘sonu’, जिसकी निशानी ही मरहम है।
न इंतज़ार किसी का है, न तलब किसी शैय की,
बस दो करवटें हैं और दोनों तरफ़ ही बेचैनी है।