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6 Oct 2025 · 1 min read

दो करवटें है

ये खालीपन है ऐसा, जिसे भरना नहीं मुमकिन,
ये वो घाव है ‘sonu’, जिसकी निशानी ही मरहम है।
न इंतज़ार किसी का है, न तलब किसी शैय की,
बस दो करवटें हैं और दोनों तरफ़ ही बेचैनी है।

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