कसकते पांव से कांटा निकल जाता तो अच्छा था
कसकते पाँव से काँटा निकल जाता तो अच्छा था
मैं गिरने से ज़रा पहले संभल जाता तो अच्छा था
मुझे हैरानगी होती न मौसम की वफ़ाओं पर
तुम्हारे साथ ही मौसम बदल जाता तो अच्छा था
परेशां दिल को कैसे में दिलासा दूँ मुहब्बत का
परेशां दिल खिलौनों से बहल जाता तो अच्छा था
मुहब्बत की दुपहरी में न तुम जलते न मैं जलता
निकलते वक़्त ही सूरज ये ढल जाता तो अच्छा था
सुना है अच्छे कर्मों का हमें फल अच्छा मिलता है
कोई पहले का अच्छा कर्म फल जाता तो अच्छा था
— शिवकुमार बिलगरामी
Karsakte paanv se kaanta