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5 Oct 2025 · 1 min read

कसकते पांव से कांटा निकल जाता तो अच्छा था

कसकते पाँव से काँटा निकल जाता तो अच्छा था
मैं गिरने से ज़रा पहले संभल जाता तो अच्छा था

मुझे हैरानगी होती न मौसम की वफ़ाओं पर
तुम्हारे साथ ही मौसम बदल जाता तो अच्छा था

परेशां दिल को कैसे में दिलासा दूँ मुहब्बत का
परेशां दिल खिलौनों से बहल जाता तो अच्छा था

मुहब्बत की दुपहरी में न तुम जलते न मैं जलता
निकलते वक़्त ही सूरज ये ढल जाता तो अच्छा था

सुना है अच्छे कर्मों का हमें फल अच्छा मिलता है
कोई पहले का अच्छा कर्म फल जाता तो अच्छा था

— शिवकुमार बिलगरामी
Karsakte paanv se kaanta

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