मां बखूबी जानती हैं
मां बखूबी जानती हैं
अपना फ़र्ज़ निभाना
पिता के कंधे के बोझ को
अपने कंधो पर उडेलना
मुस्कुराकर सुबह से शाम तक
खुद को मशरूफ रखना
नहीं जानती तो बस
अपना दर्द किसी को बताना
कितने अश्रु बहायें उसने
और कितनों को सीखा है पी जाना।।
हरमिंदर कौर, अमरोहा