जीवन का सुख सार है, धन वैभव परिवार।
जीवन का सुख सार है, धन वैभव परिवार।
पुलकित रखना नित्य मन, सबसे सद्व्यवहार।।
जीवन के हर वक्त का, करिए सद उपयोग।
जब-तक तन को है मिली, साँसों का संयोग।।
नश्वर तन कम वक्त का, करते नहीं घमंड।
जीवन का आनंद लें, मिलता जहाँ प्रचंड।।
आत्मा सबमें है वहीं, परमशक्ति का अंश।
ध्यान रहे व्यवहार का, मिले न कोई दंश।।
जीवन सबका हो सुफल, करता इसका यत्न।
“पाठक” रहता मग्न है, पाने में सद रत्न।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)