राम जगत का मूल हैं, राम मुक्ति का धाम।
राम जगत का मूल हैं, राम मुक्ति का धाम।
कर मन धारण नाम को, तारक-मारक राम।।
बिना राम के नाम के, सरे न कोई काम।
जीवन के हर कर्म में, रमे हुए हैं राम।।
नित मर्यादा में रहे, कर्म करे निष्काम।
संकट में संयम वरे, कहें उसे ही राम।।
© सीमा