ना खता, ना गुनाह, ना कत्ल
ना खता, ना गुनाह, ना कत्ल
फिर भी सजा मुक़र्रर है।
दोष है ये सब किस्मत का
या फिर वक्त नहीं मुनासिफ़ है।।
हरमिंदर कौर, अमरोहा
ना खता, ना गुनाह, ना कत्ल
फिर भी सजा मुक़र्रर है।
दोष है ये सब किस्मत का
या फिर वक्त नहीं मुनासिफ़ है।।
हरमिंदर कौर, अमरोहा