"तुम" से "मैं" तक आते-आते
“तुम” से “मैं” तक आते-आते
कितने पुल टूट चुके हैं!
और शायद इस समाज ने
“हम” होना ही छोड़ दिया है।
Rakesh yadav goldi
“तुम” से “मैं” तक आते-आते
कितने पुल टूट चुके हैं!
और शायद इस समाज ने
“हम” होना ही छोड़ दिया है।
Rakesh yadav goldi