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4 Oct 2025 · 1 min read

रोटी से बढ़कर नहीं,

रोटी से बढ़कर नहीं,
जग में कुछ नादान ।
इसकी खातिर जिस्म का,
बिक जाता ईमान ।।
सुशील सरना / 4-10-25

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