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3 Oct 2025 · 1 min read

और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो

और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो
अपनी चोटें, अपनी चिंता, अपने त्रास सहो

सबके अपने अलग राग हैं, अपने-अपने सपने
सब आए हैं अपनी-अपनी राहों मरने-खपने

सहयोगों के नाम छद्म है, अपनत्वों के पट पर
हम सब अलग-अलग घायल हैं अपने-अपने तट पर

अपनी-अपनी क्षमता नापो, अपनी आस गहो
संबंधों की भाषा अनगढ़, अनबूझी, अनबोली

इसीलिए अपने अंतस में अपनी-अपनी होली
अपने हैं उत्ताप और अपने-अपने मरहम हैं

अपने ही संवेग और अपने-अपने संयम हैं
अपने कमरे में बैठो, अपने आकाश बहो

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