और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो
और किसी के नहीं, विकल मन अपने पास रहो
अपनी चोटें, अपनी चिंता, अपने त्रास सहो
सबके अपने अलग राग हैं, अपने-अपने सपने
सब आए हैं अपनी-अपनी राहों मरने-खपने
सहयोगों के नाम छद्म है, अपनत्वों के पट पर
हम सब अलग-अलग घायल हैं अपने-अपने तट पर
अपनी-अपनी क्षमता नापो, अपनी आस गहो
संबंधों की भाषा अनगढ़, अनबूझी, अनबोली
इसीलिए अपने अंतस में अपनी-अपनी होली
अपने हैं उत्ताप और अपने-अपने मरहम हैं
अपने ही संवेग और अपने-अपने संयम हैं
अपने कमरे में बैठो, अपने आकाश बहो