*भजन गायिका डॉ सोनरूपा विशाल: जिंदाबाद जिंदाबाद*
भजन गायिका डॉ सोनरूपा विशाल: जिंदाबाद जिंदाबाद
रामपुर, 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार। एक कवयित्री के रूप में तो भारत-भर में डॉक्टर सोनरूपा विशाल से समस्त हिंदी जगत परिचित है। कवि सम्मेलनों के मंच पर लाखों-करोड़ों हृदयों पर आपका शासन है। लेखन-शिल्प और प्रस्तुति की कला आपकी कविताओं को एक विशिष्ट माधुर्य प्रदान करती हैं।
आप भजन भी गाती हैं, यह बात संभवत किसी-किसी को ही पता है। रामपुर रजा पुस्तकालय एवं संग्रहालय के महोत्सव कार्यक्रम में जब हमने डॉक्टर सोनरूपा विशाल को भजन-गायिका के रूप में निमंत्रण पत्र में पढ़ा, तो आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी हुई। सचमुच आपका सुरीला कंठ और उसे कंठ में निहित सौम्यता और आध्यात्मिकता आपको भजन-गायन के क्षेत्र के लिए मानों आमंत्रित कर रहे हों ।अपने समय की पुकार को सुना और हृदय को झंकृत करने वाली वाणी में भजनों को जन-जन के बीच गाकर प्रस्तुत करने के कार्य को अपना लिया। संभवतः यह आपकी भजन-गायन की प्रथम प्रस्तुति है और हम रामपुर वासियों को ही सर्वप्रथम इसके श्रवण का धर्म-लाभ प्राप्त हुआ।
भजन-मंडलियॉं दो प्रकार की होती हैं। एक वे जो जोर-शोर से भजन गाते हैं। जोरदार वाद्य-यंत्रों का प्रयोग करते हैं और भजन गायन के मध्य एक प्रकार का शोर उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार के भजन-गायन को पसंद करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। लेकिन अपनी-अपनी पसंद होती है।
सोनरूपा विशाल जी दूसरे प्रकार की भजन-गायिका हैं ।शांत वातावरण में जिस प्रकार नदी की लहरें तट पर बैठे हुए श्रद्धालुओं को धीमी-धीमी आवाज से मंत्रमुग्ध करती हुई आगे बढ़ती जाती हैं, ठीक वैसे ही सोनरूपा जी का भजन-गायन रहा। श्रोता आपकी लयात्मकता के साथ सामंजस्य में डूब गए और एक प्रकार से वास्तव में भक्ति-रस आपने भजनों के गायन के माध्यम से वातावरण में भर दिया। यह भक्ति रस धीरे-धीरे श्रोताओं को विभोर करता गया।
सर्वाधिक आनंद आपके द्वारा प्रस्तुत “श्री राम स्तुति” से आरंभ हुआ। “श्री रामचंद्र कृपालु भज मन” जब आपने गाया तो लगा कि वास्तव में कोई साधिका आराध्य की स्तुति कर रही है और हम सब श्रोता पीछे की पंक्तियों में उस आराधना को हृदय में धारण कर रहे हों।
तुलसीदास जी की चौपाइयों को पढ़कर तो आपने अनूठा परिदृश्य निर्मित कर दिया। मन को अध्यात्म की वर्षा में भिगो देने वाला यह गायन सिवाय सोनरूपा जी के कंठ के शायद और कहीं नहीं मिलेगा। “मंगल भवन अमंगल हारी” इस चौपाई के साथ एक के बाद एक चौपाई आपकी सुमधुर वाणी का स्पर्श पाकर जीवंत होती गई । श्रोताओं का मन कह रहा था कि काश यह चौपाइयॉं कभी समाप्त न हों। सैकड़ों वर्षों से तुलसीदास जी की चौपाइयॉं भक्त अपने-अपने ढंग से गाते रहे हैं। इसी कड़ी में सोनरूपा जी ने भी गाया। पर इसकी मनमोहकता कुछ अलग ही रही। सचमुच यह मन से गाई जा रही चौपाइयॉं थीं।
डॉक्टर सोनरूपा विशाल जी को एक अद्भुत भजन भी भजन-गायन की इसी शाम को प्रस्तुत करना था। भजन के बोल हैं:- “गाऍंगे-गाऍंगे हम वंदे मातरम्”
इस भजन की विशेषता यह है कि इसे डॉक्टर सोनरूपा विशाल जी के पिता रामपुर के ही नहीं समस्त भारत के सुपरिचित ओजस्वी कवि डॉक्टर उर्मिलेश ने रचा है। और यह उनका प्रतिनिधि भजन है । इस गीत को भजन कहने में आपत्ति इसलिए नहीं है क्योंकि यह वंदे मातरम का यश-गान है। मॉं भारती की उपासना का गीत है। राष्ट्र की आराधना है। भारत के स्वाभिमान को बढ़ाने वाला है। राष्ट्र की अस्मिता को चिन्हित करने वाले इस गौरव-गान को हम भजन क्यों ना कहें ? भजन वह है जिसमें आराधना के भाव से हम कुछ गाते हैं। वंदे मातरम को गाते समय और वंदे मातरम को दृढ़ता पूर्वक गाने की अपनी अभिलाषा को प्रकट करने में भी यही आराधना-भाव प्रस्तुत होता है। सचमुच राष्ट्र की आराधना के रूप में राष्ट्र का यह गीत राष्ट्र की बेटी डॉ सोनरूपा विशाल ने पूरे मन से तन्मय होकर गाया। खुले आकाश के नीचे श्रोता बैठे थे और हामिद मंजिल के राज दरबार की सीढ़ियों पर सबसे ऊॅंचाई पर मंच बना था। निश्चय ही सूक्ष्म रूप से स्वर्ग में निवास कर रहे डॉक्टर उर्मिलेश ने आकाश से अपनी कन्या-रत्न का यह भावुक कर देने वाला राष्ट्र-भक्ति का भजन सुना होगा और ढेर आशीर्वाद भी दिए होंगे। यह गीत डॉक्टर उर्मिलेश के श्रीमुख से श्रोता भजन की तरह ही सुनते थे और राष्ट्र-आराधना के रूप में ही इसे आत्मसात भी करते थे। डॉक्टर सोनरूपा विशाल की वंदे मातरम प्रस्तुति ने वातावरण को राष्ट्र के प्रति भक्ति के उन्माद से भर दिया।
भजन गायन की अंतिम प्रस्तुति गॉंधी जी के प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम” से हुई। लेकिन इसे भी अनंत ऊॅंचाइयों तक डॉक्टर सोनरूपा विशाल ने पहुॅंचाया। “हरि बोल-हरि बोल” तथा “अच्युतम केशवम् राम नारायणम्” आदि लगभग एक दर्जन भजन और भक्ति के अग्रणी भाव अंत में उनके गायन से प्रकट हुए।
रामपुर निवासी कक्षा आठ के विद्यार्थी काजी मोहम्मद जमाल की भी एक भजन प्रस्तुति हुई, जिसके बोल थे “मेरे घर राम आए हैं”। इसे भी पर्याप्त सराहना प्राप्त हुई। रामपुर के ही एक अन्य युवा कलाकार के भजन ने भी सबको पर्याप्त मात्रा में आकर्षित किया। भजन गायिका डॉक्टर सोनरूपा विशाल को हृदय से बारंबार बधाई।
🍂🍂🍂🍂🍃🍃🍃🍃
लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451