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3 Oct 2025 · 1 min read

खुशामद का हुनर रक्खे हुए हैं

खुशामद का हुनर रक्खे हुए हैं
वो किस्मत अर्श पर रक्खे हुए हैं

सितम की इंतहा भी देखना है
अभी नेजे पे सर रक्खे हुए हैं

सफ़र में जिम्मेदारी चल रही है
दिलों जाँ ज़हन घर रक्खे हुए हैं

सितम का सिलसिला कब तक चलेगा
हमी क्यों दाँव पर रक्खे हुए हैं

कभी झांका नहीं अपना गिरेबाँ
वो दुनिया की खबर रक्खे हुए हैं

अंधेरे साथ रहते हैं हमेशा
उजाले बांटकर रक्खे हुए हैं

सुनी जाती है हर इक बात उनकी
जो लहजे में असर रक्खे हुए हैं

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