मद्धम सी ध्वनि संगीत की,घुल रही है कानों में
मद्धम सी ध्वनि संगीत की,घुल रही है कानों में
मै बैठी तन्हाई में , गुम हु यादों की रागिनी में
कल तक बड़ी धूम थी,जयकारा था गली गली शेरावाली का
आज सुने है पंडाल सारे,सुनी है सारी गालियां
लग रहा है हुई विदा मां देकर मीठी यादों को
जल में विसर्जन मूरत हुई है,छवि बस गई भीतर मन के