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3 Oct 2025 · 3 min read

माँ लक्ष्मी वहीं ठहरती है, जहाँ मन निर्मल हो

दीपावली, जिसे दीवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे प्रमुख, पवित्र और उल्लासपूर्ण त्योहार है। यह सिर्फ़ दीपों का उत्सव नहीं है, बल्कि आत्मा के अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा है। इस दिन केवल घर-आँगन में ही दीप नहीं जलते, बल्कि मन के कोनों में भी रौशनी होती है और उस रौशनी की देवी हैं माँ लक्ष्मी।
माँ लक्ष्मी जो समृद्धि की देवी, श्रद्धा का स्वरूप, माँ लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं, वह सौंदर्य, शुद्धता, ऐश्वर्य, सद्गुण और भाग्य की अधिष्ठात्री भी हैं। उनका वास वहाँ होता है जहाँ सफाई, श्रद्धा, विनम्रता और सच्चाई हो।
दीपावली की रात, जो अमावस्या की काली रात होती है,
उसी रात माँ लक्ष्मी इस धरती पर भ्रमण करती हैं, और देखती हैं कि कहाँ उन्हें सच्चे मन से बुलाया गया है।

हर घर की चौखट पर जलते दीप,
दरवाज़े पर बने रंगोली के रंग,
हाथों में फूल और मन में भक्ति,
यही बन जाते हैं माँ लक्ष्मी के स्वागत का मार्ग।

दीप जलाने का अर्थ केवल रोशनी फैलाना नहीं होता बल्कि प्राचीन काल से ही दीप जलाना अज्ञान, अहंकार और आलस्य को जलाना माना गया है। जब हम दीप जलाते हैं, तो हम ये प्रण लेते हैं कि हम अपने भीतर की नकारात्मकता को मिटाएँगे, अपने जीवन को सत्कर्मों से सजाएँगे, और अपने घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा फैलाएँगे।

माँ लक्ष्मी वहीं ठहरती हैं,
जहाँ मन निर्मल हो,
हृदय उदार हो,
और कर्म सच्चे हों।
धन की नहीं, ‘ध्यान’ की ज़रूरत होती है इस रात । दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं लेकिन यह पूजा केवल नोटों और सिक्कों के सामने दीप रख देने से पूरी नहीं होती। सच्ची लक्ष्मी पूजा तब होती है, जब हम अपने मन, कर्म और वाणी को शुद्ध करते हैं।
जब हम किसी ज़रूरतमंद की मदद करते हैं,
अपने परिवार में प्रेम और सौहार्द फैलाते हैं,
और अपने भीतर लोभ, क्रोध और ईर्ष्या को त्यागते हैं। धार्मिकता से जुड़ी परंपराएँ और भावनाएँ
= लक्ष्मी पूजन : इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान गणेश और कुबेर की भी पूजा होती है ताकि बुद्धि, धन और वैभव का संतुलन बना रहे।
= रात्रि जागरण : दीपावली की रात जागरण और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है। यह न सिर्फ़ माँ लक्ष्मी को आमंत्रण है, बल्कि मन को ध्यान से जोड़ने का भी एक अवसर है।
= रंगोली, दीप और स्वच्छता : रंगोली माँ लक्ष्मी का स्वागत करती है, दीप उन्हें राह दिखाते हैं, और घर की सफाई उन्हें बसने का स्थान देती है।
= आध्यात्मिक संदेश : असली लक्ष्मी को पहचानो, आज की दुनिया में अक्सर हम लक्ष्मी को केवल धन तक सीमित कर देते हैं। लेकिन सच्ची लक्ष्मी होती है ।
= ज्ञान की लक्ष्मी : जो अंधविश्वास से मुक्ति दे,
= सेवा की लक्ष्मी : जो किसी और के जीवन में आशा का दीप जला दे,
= संतोष की लक्ष्मी : जो मन को स्थिर और शांत रखे।

यदि हमारे जीवन में ये लक्ष्मियाँ आ जाएँ, तो धन अपने आप पीछे चले आता है।
= समापन : दीप जलाओ, पर भीतर भी उजियारा करो
इस दीपावली,
जब तुम माँ लक्ष्मी का पूजन करो,
तो बस इतना याद रखना,
कि लक्ष्मी वहीँ वास करती हैं,
जहाँ दिल में श्रद्धा हो, मन में सच्चाई हो,
और जीवन में मेहनत और परोपकार की लौ जलती हो।
दीप जलाओ लेकिन केवल घर में नहीं,
अपने विचारों, संबंधों और आत्मा में भी।
माँ लक्ष्मी आपके जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य, सुख और शांति भरें।
दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

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