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2 Oct 2025 · 1 min read

हम रोबोट है ।

हम रोबोट है , हमे त्यौहारो, रीति रिवाजों से अब घिन्न आती है ,
बड़ा सा चेहरा बनाने का मन करता है ,
अब हम पर जिम्मेदारीयो औऱ दिखावे के चादर को जबरदस्ती ओढाह दिया गया है ,
अब हम अपने जीवन को नही जी रहे हैं
अब हम समाज के सच मे पुतले बन गए हैं ।
अब हम सच मे पानी हो गए है , सच मे हम पसीज गए हैं ।
सच मे अब हम पुरुष ,पुरूष नही दया की भीख मांगने पर उतारू है ।

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